मुझे नहीं पता प्यार क्या है

मुझे नहीं पता प्यार क्या है पर कभी-कभी कहीं-कहीं उस प्यार की झलक ज़रूर देखी है,

वो दादी की कहानियों में,

वो नानी के हाथ के बनाये आटे के लड्डुओं में,

वो नाना की रोज़ दिलाई हुई टॉफ़ियों में,

वो पापा के सर पर फिराए हाथ में,

वो मम्मी की रोटियों में, वो मौसी की आती कॉल में ,

वो बुआ के आशीर्वाद में,

वो बच्चे की मुस्कराहट में।

मुझे नहीं पता प्यार क्या है पर महसूस किया है कभी-कभी कहीं-कहीं उसकी खुशबू को।

19 thoughts on “मुझे नहीं पता प्यार क्या है

  1. बहुत खूब लिखा है आपने👌👌👏👏 प्यार का एक दूसरा ही पहलू है जो हमें अपने अपनों से मिलता है। क्योंकि लोगों के मन में प्यार को लेकर केवल एक ही तस्वीर खींचती है…..

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